भारत में ब्रिटिश राज की समाप्ति के बाद देश में कई तरह के आमूलचूल परिवर्तन हुए मगर कहीं ना कहीं हमारी शिक्शा व्यवस्था पर पुरातनपंथी सोच अब भी हावी है. यूं तो सदियों से तमाम कलाकार अपनी कला के माध्यम से अपनी निजता का परिचय देते आ रहे हैं मगर इसके बावजूद कला की शिक्षा देने वाले

स्कूलों पर आज भी पाश्चात्य देशों का प्रभाव देखने को मिलता है जो एक ख़ास तरह की कला को बढ़ावा देते नज़र आते हैं.

उल्लेखनीय है कि जानी-मानी आर्टिस्ट अनीता गोयल ने पाश्चात्य कला के प्रभाव को अपने सोलो कला प्रदर्शनी ‘अवतरण’ के ज़रिए चुनौती पेश करने की कोशिश की है. इस कला प्रदर्शनी का आयोजन 4 फ़रवरी से किया जा रहा है जिसके माध्यम से अनीता गोयल आज की शैक्षणिक व्यवस्था को बदलने और कला के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी बदलाव लाने की उम्मीद रखती हैं.

वे कहती हैं, “कला संबंधी स्कूल व्यवस्था ना तो उत्कृष्टता को बढ़ावा देती है और न ही रचनात्मकता को.” वे आगे कहती हैं, “मैं इस यथास्थितवाद में बदलाव लाना चाहती हूं और समसामायिक भारतीय कला को पुनर्भाषित करना चाहती हूं.”

अनीता गोयल की दूरदृष्टि कुछ ऐसी है कि वो कला की किसी भी सीमा से परे है. उनकी कलाकृतियां सिर्फ़ कैनवस तक सिमटी नहीं होती हैं. वे पेटिंग्स टूल्स व पेटिंग्स नाइव्स का बख़ूबी इस्तेमाल करना जानती हैं. कला के अमूर्त स्वरूप में महारत रखने वाली अनीता गोयल कला द्वारा किसी विशिष्ट तरह के संदेश देने के ख़्याल से इत्तेफ़ाक नहीं रखती हैं और इसकी बजाय वे स्वरूप व उसके माध्यम के अंतर-संबंधों को अधिक तवज्जो देती हैं.

उल्लेखनीय है कि अनीता गोयल अपनी कला में स्वरूप, रंग और टेक्सचर को बहुत महत्व देती हैं. उनकी कलाकृतियों में पक्षी से प्रेरित आकृतियां देखी जा सकती हैं और इसकी झलक उनकी पिछली श्रृंखला ‘उड़ान’ और आने वाली श्रृंखला ‘अवतरण’ में नज़र आती है. पक्षियों से प्रेरित उनकी कलाकृतियां एक ऐसा आभास उत्पन्न करती हैं जो नये-नये आयामों को‌ महसूस करने के लिए प्रेरित करते हैं.

ग़ौरतलब है कि अनीता गोयल हमेशा से ही एक प्रकार के नहीं बल्कि विविध आकार और‌ प्रकार  के कैनवस का चयन करने में यकीन करती आई हैं जिसके ज़रिए वे सपाट सतह पर भी त्रिआयामी कला का आभास करानेवाली कलाकृतियां पेश करती आई हैं. वे नाइफ़ पेंट के तमाम टेक्सचर्ड सतहों के इस्तेमाल से कैनवस की स्थालकृति को विभिन्न स्तर पर एक आकर्षक कलाकृति में तब्दील करने में माहिर हैं.

अनीता गोयल की कला प्रदर्शनी ‘अवतरण’ को वरली में जोईल्स में 4 फ़रवरी को दोपहर 12.00 से देखा जा सकता है. तमाम कला प्रेमी समसामायिक भारतीय कला के माध्यम बदलाव का आह्वान करने वाले वाली इस कला प्रदर्शनी का साक्षी बनने के लिए आमंत्रित किया है.

अनीता गोयल की कला प्रदर्शनी ‘अवतरण’ का लुत्फ़ 4 फ़रवरी से इस पते पर उठाया जा सकता है: जोइल्स, बिड़ला सेंचुरियन, पांडुरंग बुधकर मार्ग, सेंचुरी मिल्स  कंपाउंड, मुम्बई, महाराष्ट्र 400030

अनीता गोयल की एकांकी कला प्रदर्शनी ‘अवतरण’ 4 फरवरी से

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